वेदयज्ञैरहीनानां प्रशस्तानां स्वकर्मसु । ब्रह्मचार्याहरेद्भैक्षं गृहेभ्यः प्रयतोऽन्वहम् ।

ब्रह्मचारी ब्रह्मचारी स्वकर्मसु प्रशस्तानाम् अपने कत्र्तव्यों का पालन करने में सावधान रहने वालों के और वेदज्ञैः अहीनानाम् वेदाध्ययन और पंच्चमहायज्ञों से जो हीन नहीं हैं अर्थात् जो प्रतिदिन इनका पालन करते हैं ऐसे श्रेष्ठ व्यक्तियों के गृहेभ्यः घरों से प्रयतः प्रयत्न पूर्वक अन्वहम् प्रतिदिन भैक्षम् आहरेत् भिक्षा ग्रहण करे ।

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