गुरोः कुले न भिक्षेत न ज्ञातिकुलबन्धुषु । अलाभे त्वन्यगेहानां पूर्वं पूर्वं विवर्जयेत्

भिक्षा – सम्बन्धी नियम –

ब्रह्मचारी गुरोः कुले न भिक्षेत गुरू के परिवार में भिक्षा न मांगे ज्ञाति कुल – बन्धुषु न सम्बन्धियों के परिवारों तथा मित्रों – धनिकों में भी भिक्षा न मांगे अन्यगेहानां अलाभे तु अन्य घरों से यदि भिक्षा न मिले तो पूर्व – पूर्व विवर्जयेत् पूर्व – पूर्व घरों को छोड़ते हुए भिक्षा प्राप्त कर ले अर्थात् पहले मित्रों, परिचितों या घनिष्ठों के घरों से भिक्षा मांगे, वहां न मिले तो सम्बन्धियों में, वहां भी न मिले तो गुरू के परिवार से भिक्षा मांग सकता है ।

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