Adhyay : 2 Mantra : 144 Back to listings मातुरग्रेऽधिजननं द्वितीयं मौञ्जिबन्धने । तृतीयं यज्ञदीक्षायां द्विजस्य श्रुतिचोदनात् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related