योऽनधीत्य द्विजो वेदं अन्यत्र कुरुते श्रमम् । स जीवन्नेव शूद्रत्वं आशु गच्छति सान्वयः

वेदाभ्यास के बिना शूद्रत्वप्राप्ति:

यः द्विजः जो ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वेदम् अनधीत्य वेद को न पढ़कर अन्यत्र श्रमं कुरूते अन्य शास्त्र में श्रम करता है सः वह जीवन् एव जीवता ही सान्वयः अपने वंश के सहित शूद्रत्वं गच्छति शूद्रपन को प्राप्त हो जाता है ।

(सं० वि० वेदारम्भ सं०)

(आशु) शीघ्र ही………………..

‘‘जो वेद को न पढ़ के अन्यत्र श्रम किया करता है, वह अपने पुत्र – पौत्र सहित शूद्रभाव को शीघ्र ही प्राप्त हो जाता है ।’’

(स० प्र० तृतीय समु०)

गुरूकुल में रहते हुए ब्रह्मचारी के पालनीय नियम –

 

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