गर्भाष्टमेऽब्दे कुर्वीत ब्राह्मणस्योपनायनम् । गर्भादेकादशे राज्ञो गर्भात्तु द्वादशे विशः ।

ब्राह्मणस्य ब्राह्मण के बालक का उपनायनम् उपनयन गुरू के पास पहुंचाना अर्थात् यज्ञोपवीत संस्कार गर्भाष्टमे अब्दे गर्भ से आठवें वर्ष में कुर्वीत करे, राज्ञः क्षत्रिय के बालक का गर्भात् + एकादशे गर्भ से ग्यारहवें वर्ष में, और विशः वैश्य के बालक का गर्भात् द्वादशे गर्भ से बारहवें वर्ष में उपनयन संस्कार करना चाहिए ।

‘‘अष्टमे वर्षे ब्राह्मणमुपनयेत् । १ । गर्भाष्टमे वा । २ । एकादशे क्षत्रियम् । ३ । द्वादशे वैश्यम् ।४। आश्वलायन गृह्यसूत्र – जिस दिन जन्म हुआ हो अथवा जिस दिन गर्भ रहा हो उससे आठवें वर्ष में ब्राह्मण के, जन्म वा गर्भ से ग्यारहवें वर्ष में क्षत्रिय के और जन्म वा गर्भ से बारहवें वर्ष में वैश्य के बालक का यज्ञोपवीत करें ।’’

(सं० वि० उपनयन संस्कार)

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