एतद्धि जन्मसाफल्यं ब्राह्मणस्य विशेषतः । प्राप्यैतत्कृतकृत्यो हि द्विजो भवति नान्यथा

ये (12/92) तीनों कर्म द्विजों के, विशेष रूप से ब्राह्मण के जन्म को सफल बनाने वाले हैं । द्विज व्यक्ति इनका पालन करके ही कर्त्तव्यों की पूर्णता प्राप्त करता है, इनको बिना नहीं ।

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