पितर=पालक राजा आदि (द्रष्टव्य 12/100) विद्वान् और अन्य मनुष्यों का वेद सनातन नेत्र=मार्ग-प्रदर्शक है, और वह अशक्य अर्थात् जिसे कोई पुरुष नहीं बना सकता इस प्रकार अपौरुषेय हैं, तथा अनन्त सत्यविद्याओं से युक्त है, ऐसी निश्चित मान्यता है ।
पितर=पालक राजा आदि (द्रष्टव्य 12/100) विद्वान् और अन्य मनुष्यों का वेद सनातन नेत्र=मार्ग-प्रदर्शक है, और वह अशक्य अर्थात् जिसे कोई पुरुष नहीं बना सकता इस प्रकार अपौरुषेय हैं, तथा अनन्त सत्यविद्याओं से युक्त है, ऐसी निश्चित मान्यता है ।