Adhyay : 12 Mantra : 88 Back to listings सुखाभ्युदयिकं चैव नैःश्रेयसिकं एव च । प्रवृत्तं च निवृत्तं च द्विविधं कर्म वैदिकम् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related