Adhyay : 12 Mantra : 87 Back to listings वैदिके कर्मयोगे तु सर्वाण्येतान्यशेषतः । अन्तर्भवन्ति क्रमशस्तस्मिंस्तस्मिन्क्रियाविधौ Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related