वैदिके कर्मयोगे तु सर्वाण्येतान्यशेषतः । अन्तर्भवन्ति क्रमशस्तस्मिंस्तस्मिन्क्रियाविधौ

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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