त्रयाणां अपि चैतेषां गुणानां यः फलोदयः । अग्र्यो मध्यो जघन्यश्च तं प्रवक्ष्याम्यशेष

अब जो इन तीन गुणों का उत्तम, मध्यम और निकृष्ट फलोदय होता है उसको पूर्ण भाव से कहते है । (स. प्र. नवम समु.)

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