यत्तु स्यान्मोहसंयुक्तं अव्यक्तं विषयात्मकम् । अप्रतर्क्यं अविज्ञेयं तमस्तदुपधारयेत्

तमोगुण की पहचान—

  1. जब मोह अर्थात् सांसारिक पदार्थों में फंसा हुआ आत्मा और मन हो, जब आत्मा और मन में कुछ विवेक न रहे, विषयों में आसक्त, तर्क-वितर्क रहित, जानने के योग्य न हो, तब निश्चय समझना चाहिए कि इस समय मुझ में तमोगुण प्रधान, और सत्वगुण तथा रजोगुण अप्रधान है । (स. प्र. नवम समु.)

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