वाग्दण्डोऽथ मनोदण्डः कायदण्डस्तथैव च । यस्यैते निहिता बुद्धौ त्रिदण्डीति स उच्यते

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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