सकृज्जप्त्वास्यवामीयं शिवसंकल्पं एव च । अपहृत्य सुवर्णं तु क्षणाद्भवति निर्मलः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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