Adhyay : 11 Mantra : 249 Back to listings कौत्सं जप्त्वाप इत्येतद्वसिष्ठं च प्रतीत्यृचम् । माहित्रं शुद्धवत्यश्च सुरापोऽपि विशुध्यति । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related