एकैकं ग्रासं अश्नीयात्त्र्यहाणि त्रीणि पूर्ववत् । त्र्यहं चोपवसेदन्त्यं अतिकृच्छ्रं चरन्द्विजः

’अतिकृच्छ्र’ नामक व्रत को करने वाला द्विज पूर्व विधि (11/211) के अनुसार तीन दिन केवल प्रातःकाल, तीन दिन केवल सांयकाल, तीन दिन बिना मांगे प्राप्त हुआ एक-एक ग्रास भोजन करे और अन्तिम दिन उपवास रखे . (यह अतिकृच्छ्र व्रत है ) ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *