’तप्तकृच्छ्र’ व्रत को करने वाला द्विज गर्म पानी, गर्मदूध, गर्म घी और वायु प्रत्येक को तीन-तीन दिन पोकर रहे, और एक बार स्नान करें, तथा एकाग्रचित्त रहे ।
’तप्तकृच्छ्र’ व्रत को करने वाला द्विज गर्म पानी, गर्मदूध, गर्म घी और वायु प्रत्येक को तीन-तीन दिन पोकर रहे, और एक बार स्नान करें, तथा एकाग्रचित्त रहे ।