गोमूत्रं गोमयं क्षीरं दधि सर्पिः कुशोदकम् । एकरात्रोपवासश्च कृच्छ्रं सांतपनं स्मृतम् । ।

क्रमशः एक-एक दिन गोमूत्र, गोबर का रस, गौदूध, गौ के दूध का दही , गोघृत औक कुशा= दर्भ से उबला जल, इनका भोजन करे और फिर एक दिन-रात का उपवास रखे, यह कृच्छ सांतपन नामक व्रत है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *