Adhyay : 10 Mantra : 121 Back to listings शूद्रस्तु वृत्तिं आकाङ्क्षन्क्षत्रं आराधयेद्यदि । धनिनं वाप्युपाराध्य वैश्यं शूद्रो जिजीविषेत् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related