अहोरात्रे विभजते सूर्यो मानुषदैविके । रात्रिः स्वप्नाय भूतानां चेष्टायै कर्मणां अहः

. (सूय्र्यः) सूर्य (मानुष – दैविके) मानुष – मनुष्यों के और दैवी – देवताओं के (अहोरात्रे) दिन – रातों का (विभजते) विभाग करता है, उनमें (भूतानां स्वप्नाय रात्रिः) प्राणियों के सोने के लिए ‘रात’ है और (कर्मणां चेष्टायें अहः) कामों के करने के लिए ‘दिन’ होता है ।

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