निमेषा दश चाष्टौ च काष्ठा त्रिंशत्तु ताः कला । त्रिंशत्कला मुहूर्तः स्यादहोरात्रं तु तावतः ।

. (दश च अष्टौ च) दश और आठ मिलाकर अर्थात् अठारह (निमेषाः) निमेषों (पलक झपकने का समय) की (काष्ठा) १ काष्ठा होती है (ताः त्रिंशत्तु) उन तीन काष्ठाओं की (कला) १ कला होती है (त्रिंशत्कलाः) तीस कलाओं का (मुहूत्र्त स्यात्) एक मुहूत्र्त (४८ मिनट का) होता है , और (तावतः तु) उतने ही अर्थात् ३० मुहूत्र्तों के (अहोरात्रम्) एक दिन – रात होते हैं ।

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