संकल्पमूलः कामो वै यज्ञाः संकल्पसंभवाः । व्रतानि यमधर्माश्च सर्वे संकल्पजाः स्मृताः

. जो कोई कहे कि मैं निष्काम हूँ वा हो जाऊं तो वह कभी नहीं हो सकता, क्यों कि – सर्वे सब काम यज्ञाः व्रतानि यमधर्माः यज्ञ, सत्यभाषणादि व्रत, यम-नियमरूपी धर्म आदि संकल्पजाः संकल्प ही से बनते हैं कामः वै निश्चय से प्रत्येक कामना संकल्पमूलः संकल्पमूलक होती है अर्थात् संकल्प से ही प्रत्येक इच्छा उत्पन्न होती है ।

(स० प्र० दशम समु०)

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