महात्मा नारायण स्वामी जी के दो ऑपरेशनः-
एक बार महात्मा नारायण स्वामी जी का लखनऊ में एक बड़ा ऑपरेशन हुआ। पूज्य स्वामी श्रद्धानन्द जी व श्रद्धेय उपाध्याय जी ने प्रबल अनुरोध करके महात्मा जी से कहा-हमें पहले ऑपरेशन की तिथि बतायें। हमारे आने पर ही ऑपरेशन करवायें। महात्मा जी क ो उनकी इच्छा का सन्मान करना पड़ा।
देश विभाजन से पूर्व महात्मा जी का एक बड़ा ऑपरेशन लाहौर में हुआ था। क्या आप जानते हैं कि पूज्य महाशय कृष्ण जी के विशेष अनुरोध पर
महात्मा नारायण स्वामी जी को लाहौर में ऑपरेशन करवाना पड़ा था। तब भी उपाध्याय जी आदि अनेक नेता लाहौर जाते रहे।
क्या आप जानते हैं कि सन् 1955 में पूजनीय स्वामी स्वतन्त्रानन्द जी का एक बड़ा ऑपरेशन मुबई में हुआ था। श्री सेठ प्रताप भाई जी ने बहुत सेवा की थी। महाराज तो ईश्वर के विधि-विधान को जानकर ऑपरेशन करवाने को कतई तैयार नहीं थे, परन्तु श्री महाशय कृष्ण जी के हठ के सामने स्वामी जी को झुकना पड़ा। महाशय कृष्ण जी का कथन था कि हम महात्मा नारायण स्वामी जी को मुम्बई न दिखा सके। अब उस चूक को नहीं दोहरायेंगे। स्वामी स्वतन्त्रानन्द जी ने यह कहकर महाशय जी का कहा मान लिया कि आपने कभी हमारा कहा नहीं टाला, अब आपकी यही इच्छा है तो आप मुम्बई दिखा लीजिये। आर्य समाज पर अपने पूज्य पुरुषों को अन्तिम वेला में छोड़ने का दोष देना उचित नहीं है। अपवाद हो सकते हैं। अपनी कमियों को दूर करना तो हमारा कर्त्तव्य है ही। पाठक चाहेंगे तो इस प्रकार की सेवा की पचासों घटनायें क्रमशः देता रहूँगा। यही तो सच्चा इतिहास है। मनुष्य ऐसे प्रेरक प्रसंगों से बहुत कुछ सीखता है।