जब मुंशीरामजी ने प्रतिज्ञा की
जब गुरुकुल की स्थापना का आर्यसमाज में विचार बना तो आर्यसमाज लाहौर के उत्सव पर बड़ी कठिनाई से इस कार्य के लिए दो सहस्र रुपये दान इकट्ठा हुआ। इस कठिनाई को दूर करने
के लिए मुंशीरामजी (स्वामी श्रद्धानन्दजी) ने यह प्रतिज्ञा की कि जब तक गुरुकुल के लिए तीस सहस्र रुपये इकट्ठे नहीं कर लूँगा तब तक मैं अपने घर में पग नहीं धरूँगा। सब जानते हैं कि आपने यह प्रतिज्ञा पूरी करके दिखाई।
आपने इस प्रतिज्ञा को किस शान से निभाया, इसका पता इस बात से चलता है कि उन दिनों जब कभी आप जालन्धर से निकलकर कहीं जाते तो आपके बच्चे आपको जालन्धर स्टेशन पर ही आकर मिला करते थे। आप अपने घर पर पग नहीं धरते थे। और जब प्रतिज्ञा पूरी करके आप लाहौर आये तो वहाँ एक बड़ी विशाल सभा का आयोजन हुआ। तब आपके गले में लाला काशीराम वैद्यजी द्वारा तैयार की गई कपूर की माला डाली गई।