(ग) एक व्यक्ति बिल्कुल नास्तिक है। ईश्वर की सत्ता को मानने से इन्कार करता है। लोगों को कहता है- ईश्वर नाम की कोई हस्ती संसार में नहीं है, लोग भ्रम में पड़े हुए हैं। किन्तु कर्म अच्छे करता है, बड़ा समाज सेवी भी है। क्या उस पर नाराज नही होता ईश्वर?
मेरे एक परममित्र हैं, जो सिरसा में रहते हैं, लेखक व कवि हैं, रिटायर्ड प्रिंसिपल-एम.ए. बी.एड. हैं, अमर शहीद भगतसिंह के नाम पर एक ट्रस्ट चलाते हैं, जिसमें दसवीं पास किए हुए गरीब छात्रों को जो आगे पढ़ना चाहते हैं उन्हें नियमित आर्थिक सहयोग देते हैं। इस संस्था के अनेक सदस्य हैं, मैं भी हूँ। किन्तु ये महाशय ईश्वर को बिल्कुल नहीं मानते, कहते हैं- प्रकृति से सब अपने आप होता है। उनका आहार-विहार, विचार-व्यवहार सब अच्छा है। अस्सी से ऊपर की आयु है। बिल्कुल स्वस्थ हैं, किन्तु ईश्वर को बिल्कुल नहीं मानते। क्या ऐसे लोगों से ईश्वर नाराज नहीं होता? क्यों?
– डॉ. एस.एल. वसन्त, बी-1384, नागपाल स्ट्रीट, फाजिल्का-152123 (पंजाब)
समाधान-
(ग) आपने जिन सज्जन के विषय में कहा है, वे भले ही ईश्वर को नहीं मानते, किन्तु कार्य अच्छे कर रहे हैं, यह अच्छा कार्य उनके सुख का कारण है, न कि ईश्वर को न मानना कारण है। ईश्वर की आज्ञा है कि मनुष्य श्रेष्ठ कर्म करे और जब व्यक्ति श्रेष्ठ कर्म करता है तो उसको अवश्य ही ईश्वर व्यवस्था से सुख रूप फल मिलेगा। यह ईश्वरीय नियम है कि श्रेष्ठ कर्म करने वाले को सुख और विपरीत कर्म करने वाले को दुःख होगा।
हाँ यह अवश्य है कि जब व्यक्ति ईश्वर की सत्ता को स्वीकार करके चलता है, उसी को संसार का रचयिता मानता है, कर्मफल देने वाला मानता है, पुनर्जन्म को मानता है और वेद के उपदेश को स्वीकार करता है, तब व्यक्ति का आत्मोत्कर्ष अत्यधिक होता है।
जो लोग यह कहते हैं कि संसार का बनाने वाला कोई नहीं, संसार अपने आप बन गया, यह कथन बालपन का ही है। जब हमारे सामने कोई वस्तु घर, गाड़ी, दुकान, भोजन आदि बिना बनाने वाले के नहीं बन सकता, तो इतना बड़ा संसार कैसे बिना कर्त्ता के बन सकता है। इसलिए जब व्यक्ति मनुष्यों द्वारा बनाई गई वस्तुओं को देख विचार करता है कि यह किसी-न-किसी के द्वारा बनाई गई है, अपने आप नहीं बनी। इसी प्रकार यह जगत् भी किसी-न-किसी के द्वारा बनाया गया है, न कि अपने आप बना।
इसलिए जब व्यक्ति ईश्वर की सत्ता को मानकर चलता है, तब वह अधिक लाभ प्राप्त करता है। जब नहीं मानता तो उस लाभ को प्राप्त नहीं कर पाता और जो कोई ईश्वर को नहीं मानता, इससे ईश्वर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और न ही परमेश्वर इतने मात्र से नाराज होता। अस्तु।
– ऋषि उद्यान, पुष्कर मार्ग, अजमेर।
Mera ek question h??ho ske to plz reply dena,,k sahaz yog or kundalini yog m,sahaz yog ko scha btaya gya h,Bt kundalini wali books m likha h k Isse jldi chakar open hote h to ye scha h??,,now tell me k kiya difference h dono main??or konsa sahi h
Donon hee galat hein
hamare ved naastiko ke bare mein kya kehte hain ?? kripya batiye ??
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