किसी व्यक्ति का दुर्घटना में अपंग हो जाना मात्र संयोग है अथवा किसी की गलती का परिणाम है अथवा व्यक्ति के पूर्व जन्म के किसी पाप का फल है?

– आचार्य सोमदेव

जिज्ञासा – आचार्य जी सादर नमस्ते।

विनम्र निवेदन यह है कि जिज्ञासा स्वरूप निम्न सैद्धान्तिक प्रश्न हैं। कृपया लेख पर दृष्टिपात करके निम्न प्रश्नों का समाधान दें। मैं आपका आभारी हूँगा।

किसी व्यक्ति का दुर्घटना में अपंग हो जाना मात्र संयोग है अथवा किसी की गलती का परिणाम है अथवा व्यक्ति के पूर्व जन्म के किसी पाप का फल है?

समाधान-(क)वैदिक सिद्धान्त के स्पष्ट समझने से ही मनुष्य के ज्ञान की वृद्धि हो सकती है, इससे भिन्न से नहीं। ठीक-ठीक वैदिक सिद्धान्त समझ लेने पर व्यक्ति का जीवन व्यवहार उत्तम होता चला जाता है, जिससे व्यक्ति सन्तोष व शान्ति की अनुभूति करता है। विशुद्ध वैदिक सिद्धान्त हमारे सामने महर्षि दयानन्द ने रखे हैं, जिनका निर्वहन आर्य समाज करता आया है। उन कठिनता वाले सिद्धान्तों में कर्मफल सिद्धान्त हैं। कर्मफल के विषय में महर्षि मनु ने अपनी मनुस्मृति में, महर्षि पतञ्जलि ने योगदर्शन में, महर्षि दयानन्द ने सत्यार्थ प्रकाश में व अन्य ऋषियों ने अपने शास्त्रों में वर्णन किया है। यह सब वर्णन मिलते हुए भी हम मनुष्य कर्म की गति को सपूर्ण रूप से नहीं जान सकते, इसको तो परमेश्वर ही पूर्णरूप से जानने वाला है।

किसी दुर्घटना आदि से व्यक्ति अपंग हो जाता है, उसमें तीनों ही बातें हैं- संयोग, गलती वा कर्म का फल। इन तीनों में से मुखय कारण अपनी वा अन्य की गलती ही है। जितनी दुर्घटनाएँ होती हैं, उनमें प्रायः किसी-न-किसी की गलती अवश्य होती है। जो वाहन स्वयं चला रहा है, उसकी अथवा सामने वाले की। इनकी गलती के कारण जिस किसी का अंग भंग हो जाता है, उनमें से कुछ स्वस्थ हो जाते हैं, कुछ जीवन पर्यन्त उस अंग के अभाव में जीवन यापन करते हैं। इस गलती के परिणामस्वरूप जो अंग भंग होने से दुःख मिला, वह उसके कर्मों का फल नहीं है। यहाँ विचारणीय यह है कि कर्म न होते हुए भी दुःख रूप फल भोग रहा है क्यों? तो इसका उत्तर है- कर्म फल तो कर्म के करने वाले को ही मिलता है और जो दूसरे के अन्याय वा गलती से दुःख मिलता है, वह कर्म का परिणाम है, कर्म न होते हुए भी इस परिणाम रूप दुःख मिले हुए की क्षतिपूर्ति न्यायकारी परमेश्वर करता है,              अर्थात् जिसको दुःख मिला है, परमेश्वर उसको आगे मिलने वाले दुःख के कटौती कर देगा वा उसको उसके बदले सुख विशेष दे देगा।

हाँ, कई बार किसी की गलती न होते हुए भी संयोग से दुर्घटना हो जाती है, परिस्थिति ऐसी बन जाती है कि हम बच नहीं पाते, ऐसे में जो अपंगता का दुःख मिला, उसकी भी क्षतिपूर्ति परमेश्वर करेगा। दुर्घटना आदि में जो अपंगता आती है, वह कर्मों का फल हो, इसकी बहुत कम समभावना है और यदि हैाी तो इसको परमेश्वर ही जानता है, हम जैसों की अल्प बुद्धि यहाँ काम नहीं कर रही।

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