बड़ों का बड़पन
आर्यसमाज गणेशगंज लखनऊ का उत्सव था। विद्वान् लोग डी0ए0वी0 कॉलेज के भवन में ठहरे हुए थे। रात्रि को श्री सत्याचरणजी का व्याज़्यान था। उन्हें दूसरे दिन प्रयाग के स्कूल में जाना था। यह तभी सज़्भव था यदि कोई उन्हें प्रातः 3 बजे जगा दे।
महात्मा नारायण स्वामीजी ने यह उज़रदायित्व स्वयं सँभाला। दूसरे दिन प्रातःकाल उपाध्यायजी यह सुनकर चकित रह गये कि श्री सत्याचरण को जगाने के लिए महात्माजी स्वयं सारी रात न सो सके।
यह घटना छोटी होते हुए भी महात्मा नारायण स्वामीजी की महानता को प्रकट करती है।