अवतारवाद पर उपाध्यायजी का मौलिक तर्कः

अवतारवाद पर उपाध्यायजी का मौलिक तर्कः

परोपकारी में मान्य सत्यजित् जी तथा श्रीमान् सोमदेव जी समय-समय पर शंका समाधान करते हुए बहुत पठनीय प्रमाण व ठोस युक्तियाँ देते रहे हैं। मान्य श्री सोमदेव जी तथा अन्य वैदिक विद्वानों से निवेदन किया था कि भविष्य में अपने पुराने पूजनीय विचारकों, दार्शनिकों का नाम ले लेकर उनके मौलिक चिन्तन व अनूठे तर्कों का आर्य जनता को लाभ पहुँचायें। इससे अपने पूर्वजों से नई पीढ़ियों को प्रबल प्रेरणा प्राप्त होगी। आज अवतारवाद विषयक पं. गंगाप्रसाद जी उपाध्याय का एक सरल परन्तु अनूठा तर्क दिया जाता है।

किसी वस्तु में जब परिवर्तन होता है, तो वह पहले से या तो उन्नत होती है, बढ़िया बन जाती है और या फिर उसमें ह्रास होता है। वह पहले से घटिया हो जाती है। इसके नित्य प्रति हमें नये-नये उदाहरण मिलते हैं। शिशु से बालक, बालक से जवान और जवानी से बुढ़ापा-सब इस नियम के उदाहरण हैं। घर का सामान टूटता-फूटता है, मरमत होती है, तो दोनों प्रकार के उदाहरण मिल जाते हैं।

परमात्मा जब अवतार लेता है, तो अवतार धारण करके वह प्रभु पहले से बढ़िया बन जाता है, अथवा कुछ बिगड़ जाता है। दोनों स्थितियाँ तो हो नहीं सकतीं। पहले की स्थिति रह नहीं सकती। कुछ भी हो, प्रत्येक स्थिति में वह प्रभु पूर्ण परमानन्द तो नहीं कहा जा सकता। प्रभु अखण्ड एक रस तो न रहा। यह तर्क इस लेखक ने आज से 61 वर्ष पूर्व पढ़ा था। कभी कोई अवतारवादी इसके सामने नहीं टिक पाया।

कोई 45 वर्ष पूर्व केरल के कोचीन नगर में इस सेवक को व्यायान देना था। केरल के स्वामी दर्शनानन्द जी तब युवा अवस्था में थे। वह श्रोता के रूप में व्यायान सुन रहे थे। अवतारवाद को लेकर तब एक तर्क यह दिया कि राम, कृष्ण आदि सभी अवतार भारत में ही आये हैं। जर्मनी, इरान, जापान, मिस्र, सीरिया व अरब आदि देशों में आज तक कोई अवतार नहीं आया। जब-जब धर्म की हानि होती है और पाप बढ़ता है, भगवान् अवतार लेते हैं। अवतारवाद के इतिहास से तो यह प्रमाणित होता है कि भारत ऋषि भूमि-पुण्य भूमि न होकर पाप भूमि है। क्या यह कोई गौरव की बात है? जापान पर दो परमाणु बम गिराये गये। लाखों जन क्षण भर में मर गये। भगवान् ने वहाँ अवतार लिया क्या? भारत का विभाजन हुआ। लाखों जन मारे गये। कोई अवतार प्रकट हुआ? यह तर्क  सुनकर पीछे बैठे स्वामी श्री दर्शनानन्द जी फड़क उठे। वह दृश्य आज भी आँखों के सामने आ जाता है।

7 thoughts on “अवतारवाद पर उपाध्यायजी का मौलिक तर्कः”

  1. @Arya Ji

    I have to ask questions but I do not know where is forum on your website for Asking question.

    Please write something on black magic (Jaadu-Tona). Is any existence of black magic.

          1. @Rishwa

            I know Tanra Vidhya as Agori/Tantrik do like going to (Shamshan) in middle of night and doing spells and rituals all Avedic. But Many people do these Tantra Black magic for their self interest by harming others. I wanted to Impact of these things are real or these are all hocus-pocus.

            http://www.faithfreedom.org/is-black-magic-real/
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