श्री कृष्ण जी ने शपथ में कहा कि ‘‘अभिमन्यु का पुत्र जीवित हो जाये’’ तो क्या धर्मात्मा, योगी, महापुरुषों के शपथ या वरदान से मरा हुआ व्यक्ति जीवित हो सकता है?

– आचार्य सोमदेव

जिज्ञासा महोदय! जिज्ञासा-समाधान हेतु निमन विषय है- 1. परोपकारी पत्रिका मार्च (द्वितीय) 2016 के पृष्ठ 17 में श्री कृष्ण जी ने शपथ में कहा कि ‘‘अभिमन्यु का पुत्र जीवित हो जाये’’ तो क्या धर्मात्मा, योगी, महापुरुषों के शपथ या वरदान से मरा हुआ व्यक्ति जीवित हो सकता है?

समाधान– (क) मरे हुए को जीवित कर देना, यह बात असमभव प्रतीत होती है। कोई योगी महात्मा ऐसा कर देता हो, यह बात भी असमभव है। जब किसी शरीर से आत्मा-प्राण निकल गया हो, उसमें पुनः आत्मा व प्राण को डाल जीवित करना कभी नहीं हो सकता, यदि कहीं ऐसी घटनाएं मिलती हैं तो वे प्रायः कही-सुनी, असत्य, जनापवाद ही होता है। या जिस किसी मरे हुए को जीवित करने बात आती है, वह व्यक्ति मरा ही नहीं होता, उसके प्राण होते हैं और बाहर से मृतप्रायः दिखता है। ऐसी अवस्था में कुछ प्रयत्न विशेष से उसके प्राणों को संचालित किया जा सकता है।

आपने पूछा कि श्री कृष्ण ने अभिमन्यु के मरे हुए पुत्र को शपथ मात्र से जीवित कर दिया, क्या यह सत्य है? हमारे विचार में जब अभिमन्यु का पुत्र पैदा हुआ तो वह अश्वत्थामा द्वारा छोड़े हुए ब्रह्मास्त्र के प्रभाव में था। जिससे वह मृतप्रायः पैदा हुआ, पूर्णरूप से प्राण शरीर से नहीं निकले होंगे। ऐसी स्थिति में श्री कृष्ण के उपचार और पुण्य विशेष से उसके प्राण संचालित हो गये होंगे, ऐसा होने पर कृष्ण के विषय में प्रचलित कर दिया होगा कि श्री कृष्ण ने अभिमन्यु के मरे हुए पुत्र को जीवित कर दिया।

यदि श्री कृष्ण जी मरे हुओं को जीवित कर देते थे, तो महाभारत युद्ध में एक से एक उपकारी योद्धा मारे गये थे, उनको भी क्यों न जीवित कर दिया? अभिमन्यु को ही जीवित कर देते, जिससे इस आर्यावर्त को योग्य राजा मिल जाता अथवा भीमपुत्र घटोत्कच को जीवित कर देते, जिससे अतिशीघ्र कौरव सेना का संहार कर युद्ध को जल्दी निपटा देते। किन्तु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। यहाँ अभिमन्युपुत्र को जीवित करने की जो बात है, हमें तो यही प्रतीत होता है कि वह मरा हुआ पैदा नहीं हुआ अपितु मरे जैसा पैदा हुआ। मरे हुए और मरे जैसे में बहुत बड़ा अन्तर है। मरा हुआ आज तक कभी जीवित नहीं हुआ है और न होगा क्योंकि यह सृष्टिक्रम के विरुद्ध है। हाँ, मरे जैसा तो जीवित हो सकता है, क्योंकि वह अभी पूरी तरह से मरा नहीं है, अभी प्राण शेष हैं- ऐसे को बुद्धिमान् व्यक्ति अपने कौशल, औषध और पुण्य कर्मों से जीवित कर सकता है। ऐसी स्थिति को देखकर लोग कह देते हैं कि उसने मरे हुए को जीवित कर दिया।

महाभारत के इस प्रकरण में अभिमन्युपुत्र को मरा हुआ ही लिखा है और उसको जीवित करने वाले कृष्ण द्वारा अपने पुण्यों के बल पर जीवित किया हुआ लिखा है। यह प्रकरण हमें मिलावट-युक्त लगता है, वास्तविकता कुछ और रही होगी। अस्तु

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