हदीस : चोरी की सज़ा

चोरी की सज़ा

आयशा बतलाती है-”अल्लाह के पैग़म्बर ने एक-चौथाई और उससे अधिक दीनार की चोरी करने वालों के हाथ काट डाले“ (4175)। अबू हुरैरा, पैगम्बर को यह कहते बतलाते हैं-”उस चोर पर अल्लाह की लानत है जो एक अंडा चुराता है और जिसका हाथ काट डाला जाता है। और उस चोर पर भी जो रस्सी चुराता है और उसका हाथ काट डाला जाता है“ (4185)।

 

हदीस में कुरान की पुष्टि ही की गई है। कुरान में कहा है-”और जो चोरी करे, वह मर्द हो या औरत, उसके हाथ काट डालो। यह उनके किये की सज़ा और अल्लाह की तरफ से इबरत है। और अल्लाह सबसे जबर्दस्त और साहिबे-हिकमत (बुद्धिमान) है“ (5/38)। अनुवादक दो पृष्ठ की एक लम्बी टिप्पणी देकर समझाते हैं कि ”इस्लाम द्वारा विहित सामाजिक सुरक्षा की योजना को दृष्टि में रखते हुए ही कुरान चोरी के लिए हाथ काट डालने की सज़ा निर्धारित करता है“ (टि0 2150)।

 

आयशा इसी तरह का एक और मामला बयान करती हैं। मक्का की विजय के अभियान के समय एक औरत ने कोई चोरी की। यद्यपि मुहम्मद की प्रिया उसामा बिन ज़ैद ने उसकी ओर से पैरवी की, तथापि उस औरत का हाथ काट डाला गया। आयशा कहती हैं कि ”यह एक सही प्रायश्चित था“ (4188)। अनुवादक हमें विश्वास दिलाते हैं कि इस सज़ा के बाद ”उस औरत की आत्मा में एक आश्चर्यजनक परिवर्तन आ गया“ (टि0 2152)।

author : ram swarup

 

विश्व शाकाहार दिवश: अक्टोबर-०१

ओ३म्..

विश्व शाकाहार दिवश..

‘उत्तर अम्रिकी शाकाहारी समाज’ले सन् १९७७ देखि अम्रिकामा ‘विश्व शाकाहार दिवस’ मनाउन सुरु गरेको थियो। त्यस समाजले मुख्य रुपमा शाकाहारी जीवनका सकारात्मक तथ्यहरुलाई संसारका सामु ल्याउने गर्दछ। यसको लागि त्यस समाजले शाकाहार संग सम्बन्धित कयौं अध्ययन पनि गराएको छ। चाख लाग्दो कुरो यो छ कि त्यस समाजले यो अभियान शुरू गरेपछि अम्रिकामा मात्र लगभग १० लाख भन्दा धेरै मानिसले मांसाहारलाई पूर्ण रुपमा त्याग गरेका थिए। अहिले त्यहाँ लगभग ५% युरोपमा १५% र भारतमा ३१%मानिस शाकाहारी छन्। विभिन्न आहार विशेषज्ञहरुको भनाइ छ कि शाकाहारी भोजनमा रेशा अत्यधिक मात्रामा पाइन्छ र यसमा विटामिन तथा लवणको मात्रा पनि अपेक्षाकृत अधिक हुन्छ। हाम्रो सनातन वैदिक संस्कृतिमा परापूर्व काल देखि हाम्रा ऋषि-मुनिहरुले शाकाहारको महिमामा नै जोड दिएका छन्, तर अहिले आधुनिक वैज्ञानिकहरुले र विविध शोधकर्ताहरुले गरेको अध्ययन अनुसार शाकाहारलाई नै प्रमुख प्राथमिकता दिइएको छ र हाल शाकाहारको प्रभाव पूरा विश्व भरि नै पर्न थालेको छ। शरीरमा शाकाहारको सकारात्मक परिणाम तथा मांसाहारको दुष्प्रभावहरुलाई देखेर अहिले संसारभरि मानिसहरुले शाकाहारी जीवन पद्धती सुरु गर्न थालेका छन्। संसारभरिका शाकाहारी मानिसलाई एक मन्चमा ल्याएर आपसी सद्भाव तथा सहयोग स्थापना गर्ने र जनावरहरुको सिङ, खुर तथा मुख पाक्ने भयङ्कर संक्रमित जीवाणुयुक्त रोग बाट मानिसलाई बचाउने उद्देश्यले उत्तरी अम्रिकाका केहि मानिसहरुले ७०को दशकमा ‘उत्तर अम्रिकी शाकाहारी समाज’को गठन गरेका हुन्।

दुग्ध उत्पाद, फल, तरकारी, अनाज, बदाम आदि, बीज सहितक वनस्पति-आधारित भोजनलाई शाकाहार भनिन्छ। कुनै पनि शाकाहारीले मांसजन्य पदार्थलाई घृणा गर्दछ, यसमा प्राणिहरुलाई कष्ट दिएर या निर्दयता पूर्वक हत्या गरेर प्राप्त गरिने समस्त जलचर-थलचर तथा नभचर प्राणीहरुको मासु तथा तिनका अण्डा (डिम्ब या गर्भाशय) पनि शामेल छन् र पाश्चात्य पनीर, र जिलेटिन आदि पनि मांसहारको श्रेणीमा पर्दछन्।

नैतिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सौन्दर्य, आर्थिक, या अन्य कुनै पनि कारणले शाकाहारी जीवनशैली अपनाउन सकिन्छ। पश्चिमाहरुले आँफूलाई मन पर्ने किसिमले शाकाहारलाई पनि विविध श्रेणीमा विभाजन गरेका छन् जस्तै-:

  • वेगन (vegan): यसमा केवल बनस्पति आधारित भोजन मात्र सम्मिलित छन्। सम्पूर्ण दुग्ध उत्पादन लगायत मह पनि त्याज्य छ। यहाँ सम्म कि यिनीहरुले पशु-पंक्षी बाट उत्पादित कुनै पनि वस्तु प्रयोग गर्दैनन्। जस्तै छालाको थैली, झोला, पेटी, जुत्ता, चप्पल, टोपी, पन्जा, आदि। यिनीहरुको मान्यतामा पशु-पंक्षी हरुबाट कुनै पनि प्रकारको सेवा लिन पाइन्न र पिंजरा तथा खोरमा थुन्न पनि पाइन्न।
  • ल्याक्टो (Lacto):- यसमा बनस्पति आधारित भोजन लगायत दुग्ध उत्पादन र मह पनि सामेल छ, केवल माछा-मासु तथा अण्डा त्याज्य छ।
  • ल्याक्टो-ओवो (Lacto-ovo):- यसमा बनस्पति आधारित भोजन लगायत दुग्ध उत्पादन तथा मह र अण्डा पनि सामेल छ, केवल माछा र मासु मात्र त्याज्य छ।
  • पेस्काटेरियन्स् (Pescatarians): – यसमा बनस्पति आधारित भोजन लगायत दुग्ध उत्पादन, मह, अण्डा र समुद्री जीव पनि सामेल छ, केवल मासु मात्र त्याज्य छ।
  • फ्लेक्सीटेरिएन्स (Flexitarians):- यो नयाँ प्रकारको शाकाहार हो, कहिले पुरै मांसाहार त्याग्छन् र कहिले कुनै बिशेष अवसरमा मांसाहार खाने गर्दछन्। तर आँफूलाई शाकाहारी नै मान्दछन्।

जसले जसरि पनि आँफूलाई शाकाहारी माने पनि शाकाहारी समाजको भनाइ छ कि जुन भोजनमा प्राणीहरुलाई कष्ट दिएर या हत्या गरेर प्राप्त गरिएको माछा, मासु, अण्डा आदि उत्पादन शामेल छन् त्यो शाकाहारी हैन। हाम्रो सनातन वैदिक संस्कृतिको मान्यता पनि यहि हो। अस्तु..

नमस्ते..!

प्रेम आर्य

(दोहा, कतार बाट)

ठाकुरजी घर कैसे लौटें?

ठाकुरजी घर कैसे लौटें?

पण्डित श्री रामचन्द्रजी देहलवी दिल्ली में बाबू सुन्दरलालजी अहलुवालिया के घर में किराये पर रहा करते थे। उनका एक मन्दिर भी था। मन्दिर के पुजारी से पण्डितजी की मित्रता थी। एक

दिन पुजारी ने अपने पुत्र ऋषि को आवाज़ लगाकर पूछा कि रात होनेवाली है, तूने मन्दिर को ताला लगाया अथवा नहीं? उसके नकारात्मक उज़र पर पुजारीजी भी कुछ रुष्ट होकर बोले कि यदि कोई ठाकुरजी को उठाकर ले-जाए तो गये हुए ठाकुर आज तक कभी वापस आये हैं?

पूज्य पण्डित रामचन्द्र जी देहलवी सुनकर हँस पड़े और अपने पुजारी-मित्र से कहा-‘‘कभी आपने इनको गली-कूचों में घूमने का अवसर दिया है? ठाकुरजी बेचारों को ज़्या पता? वे तो आज

तक कभी बाहर गये ही नहीं तो उन्हें अपने घर के मार्ग का कैसे पता चले? इसलिए एक बार जाने के पश्चात् आज तक लौटे नहीं।’’ इस पर पुजारीजी भी हँस पड़े।

HADEES : FLOGGING COULD BE POSTPONED

FLOGGING COULD BE POSTPONED

If a woman has just delivered and there is an apprehension that flogging might kill her, she may be spared �until she is alright� (4225).

�AlI says: �O people, impose the prescribed punishment upon your slaves, those who are married and those not married, for a slave-woman belonging to Allah�s Messenger had committed adultery, and he committed me to flog her.  But she had recently given birth to a child and I was afraid that if I flogged her I might kill her.  So I mentioned that to Allah�s Messenger and he said �You have done well� � (4224).  The Prophet was a merciful man.

On the basis of this hadIs, Muslim jurists conclude that flogging can be spread over several days, depending on the physical condition of the offender; and if he is sick, the flogging can be postponed until he recovers.

author : ram swarup

हदीस : हदूद

हदूद

पन्द्रहवीं किताब में इस्लाम की दंड-संहिता, हदूद, का विवेचन है। इस पुस्तक को अहादीस कुरान अथवा सुन्ना में निरूपित दंड-विधान से संबंधित हैं। इनमें चोरी और मामूली डकैती के लिए अंगभंग की सजा, परस्त्री-गमन के लिए पत्थरों से मार डालने की सज़ा, कुमारी-गमन के लिए सौ करोड़ की सज़ा, शराब पीने के लिए भी अस्सी कोड़ों की सज़ा और इस्लाम छोड़ने पर मौत की सज़ा शामिल हैं। इस सब सज़ाओं का ज़िक्र पहले हो चुका है।

author : ram swarup

 

रोज़ा की बीवी

रोज़ा की बीवी

शास्त्रार्थ-महारथी पण्डित श्री शान्तिप्रकाश जी ने यह घटना सुनाई। एक बार कुछ यात्री गाड़ी में यात्रा कर रहे थे। उनमें से एक मौलवी साहब भी थे। मौलवीजी कुछ फल आदि खाने लगे तो साथ बैठे हिन्दू-यात्री से भी बड़े स्नेह से कहा-‘‘आप भी लीजिए।’’

हिन्दू-यात्री ने कहा-‘‘मौलवी साहब! आज मेरा एकादशी का व्रत है, अतः कुछ न खाऊँगा।’’

मौलवीजी बोले, ‘‘ज़्या जानते हो कि एकादशी हमारे रोज़ा की बीवी है।’’ हिन्दू बेचारा कच्चा-सा होकर चुप हो गया। मौलवीजी हिन्दू की इस मनोदशा पर बड़े इतराए।

समीप बैठे एक आर्यसमाजी से रहा न गया। वह बोला- ‘‘मौलाना! आपने बजा फ़र्माया। एकादशी रोज़ा की ही बीवी है, परन्तु रहती हिन्दुओं के यहाँ है। अब मौलवीजी ऐसे चुप हुए कि फिर बोलने का साहस न कर पाए।’’

शाकाहार- कविता

ओ३म्..
[विश्व शाकाहार दिवशको अवसरमा]
गर्व थ्यो नेपाल-भूमि लाई, कि गौतम बुद्धकी माता हुँ।।
राम-कृष्ण र जनक जस्ता, वीरहरुकी यशगाथा हुँ॥
प्राणि-प्रेम र शान्तिको झण्डा, संसारमा जसले फहराए।।
मेहनतले पकाएको खिर खाएर जसले सुजाताको मान बढाए॥
सपना जसले देखेका थे, आपसी मनमुटाव अन्तको।।
यो भूमि जन्मस्थल हो, तिनै बुद्ध महा संतको।।
कन्दमूल खानेहरु संग, मांसाहारी डराउँदथे।।
भक्ति जस्ता शूर-वीरलाई, नमन अंग्रेजहरु गर्दथे॥
चौध वर्ष सम्म वनमा, जसको थियो धाम।।
सबका मन-मन्दिरमा बस्ने, शाकाहारी नै थिए राम।।
चाहेको भए खान सक्दथे, मासु पशुहरुको थुप्रोमा।।
तर बयरले नै तृप्त भए, माता शबरीको झुप्रोमा॥
चक्र सुदर्शन धारी थे, महाभारत भन्दा भारी थे॥
शत्रुलाई वश गर्ने वाला, योगिराज शाकाहारी नै थे॥
उठ, जाग, पढेर हेर, आफ्नो गौरवमयी इतिहासलाई।।
महर्षि मनु देखि फैलिएको, समस्त ज्ञान-स्मृतिलाई॥
दयाको आँखा खोल सुन, पशु-पंक्षीको करुण क्रंदनलाई।।
मनुष्य देह बनेको हो, शाकाहारी भोजन गर्नलाई॥
अंगप्रत्यंग लाशको खानु, के त्यो मानव हो?
पेट तिम्रो मुर्दाघर हो, या चिहान घारी हो?
दुःख कति हुन्छ, जब औंलो कुनै जल्दछ।।
सोंचौं उस् पिडाको, जब घाँटीमा छुरा चल्दछ॥
विवशता त्यस् पशुको हेर, बच्ने कुनै अवसर छैन।।
जिउँदै जसको तन काटियोस, उस् पीडाको पार छैन॥
टोक्नु भन्दा पहिले एक चोक्टा, चित्कार प्राणीको अवस्य सुन।।
करुणा र दयाको खातिर तिमि पनि, शाकाहारी जीवनशैली चुन॥
शाकाहारी बनौँ…! दिर्घ जीवन पाउँ..!
जय शाकाहार-अभियान….!!!
नमस्ते..!
-प्रेम आर्य
(दोहा-कतार बाट)

HADEES : A SLAVE ADULTERESS

A SLAVE ADULTERESS

A more lenient view was taken in cases of adultery involving slave-women.  A slave-woman, even if she was married, was not to be stoned to death, and if she was unmarried, she was liable to half the penalty (fifty strokes).  If a slave-girl is unprotected (unmarried) and �commits adultery, then flog her and if she commits adultery again, then flog her and then sell her even for a rope of hair� (4221).

author : ram swarup

हिन्दुओं का नरसंहार कर रहे दुर्दांत जेहादी दल PFI के मंच पर दिखे हामिद अंसारी.

हिन्दुओं का नरसंहार कर रहे दुर्दांत जेहादी दल PFI के मंच पर दिखे हामिद अंसारी. हर शब्द सच साबित हुआ सुदर्शन का

एक ऐसा पक्षपाती महामहिम जिसने गैर राजनैतिक पद पर रहते हुए भी अपने शासन काल में सिर्फ और सिर्फ राजनैतिक ही नहीं जेहादी हरकतें भी की . एक ऐसा पक्षपाती व्यक्ति जिसके खिलाफ बोलने पर सुदर्शन न्यूज को नोटिस तक जारी हो गयी जबकि सुदर्शन न्यूज ने सबसे पहले उसकी जेहादी हरकतों को पकड़ा और पहचाना था . उस समय भले ही हमारा विरोध किसी ने जान कर या अनजाने में किया रहा हो पर आज सुदर्शन न्यूज की उस समय की कही गयी एक एक बात की तस्दीक अर्थात प्रमाणिकता साबित हो रही है और उसे साबित करने वाला कोई और नहीं खुद वही अंसारी है जिसके जेहादी स्वरूप को सुदर्शन न्यूज ने सबसे पहले खोल कर रख दिया था वो भी उस समय जब  वो गद्दी और शक्ति के मद में चूर था ..

यहाँ बात हो रही है भारत के तिरंगे को सलाम न करने वाले हामिद अंसारी की , यहाँ बात हो रही है भारत की नवागत सरकार पर आये दिन नया आक्षेप लगाने वाले हामिद अंसारी की , यहाँ बात हो रही है अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में संसार की सबसे धर्मनिरपेक्ष व् सहिष्णु कौम भारत के हिन्दुओ को कटघरे में  खड़ा कर के चले गए हामिद अंसारी की जो एक समय खुद को भले ही धर्मनिरपेक्षता का सबसे बड़ा ठेकेदार अपनी संविधान और जनता द्वारा मिली शक्ति के दुरूपयोग से साबित कर ले गए हों पर आखिर अपनी हरकतों से वो एक एक बात साबित कर गये जो सुदर्शन न्यूज ने कई साल पहले कहा था .

ज्ञत हो की भारत के दुर्भाग्यस्वरूप पूर्वउपराष्ट्रपति हामिद अंसारी अचानक ही उस क्रूर जेहादी संगठन PFI अर्थात पापुलर फ्रंट आफ इंडिया के मंच पर नजर आये हैं जो पिछले काफी समय से केरल और कर्नाटक के आस पास हिन्दू नेताओं के नरसंहार के संलिप्त पाई गयी है . इसी जेहादी संगठन का केरल के कोझिकोड में एक कार्यक्रम आयोजित था जिसमे हामिद अंसारी मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होते पाए गये हैं . पापुलर फ्रंट आफ इंडिया वही सन्गठन है जो आतंकी घोषित हो चुके जाकिर नाइक के लिए हिन्दुओ के कत्लेआम की धमकी भी दे चूका है और भाजपा से ले कर संघ और बजरंग दल तक के कार्यकर्ताओं के लहू से कई बार अपने हाथ रंग चूका है |

इस सनसनीखेज खुलासे से देश सन्न है . सन्न वो भी हैं जो हामिद अंसारी को धर्म निरपेक्षता का मसीहा मानते थे . सन्न हो भी हैं जिन्होंने सुदर्शन न्यूज के दावों पर शक किया था . सन्न वो भी है जो धर्म निरपेक्षता का अर्थ अभी तक समझ ही नहीं पाए है . हामिद अंसारी वहां कई संदिग्ध लोगों को सम्मानित करते और उनके साथ मंच शेयर करते भी दिखे जिनके चेहरे पर अजीब किस्म के भाव थे जो कम से कम भारत के पूर्व उपराष्ट्रप्ति के नहीं हो सकते थे .. दुर्दांत आतंकियों के दल में बैठ कर हामिद अंसारी ने अपने कार्यकाल के अंतिम समय में अपने कुकृत्य रुपी बयान का अपने आप उत्तर और अर्थ समझा दिया है . बाकी ये देश की जनता को फैसला करना है पर सुदर्शन सत्य साबित हुआ है अपनी एक एक बात पर . उस बात पर भी जिसके लिए उसको नोटिस तक जारी की गयी थी

source: http://www.sudarshannews.com/category/national/hamid-ansari-found-on-jehadi-group-stage–6288

 

हदीस : दियत (हर्जाना)

दियत (हर्जाना)

मुहम्मद ने रक्तपात-शोध की पुरानी अरब प्रथा को बरक़रार रखा (4166-4174)। अतएव जब एक औरत ने अपनी गर्भवती सौत को लाठी मारी और सौत का गर्भपात हो गया, तो उसके लिए मुहम्मद ने ”उस गर्भ में जो था“ उसके एवज में ”सबसे बढ़िया किस्म के एक मर्द या औरत गुलाम“ को हर्जाने के रूप में निश्चित किया। उस औरत के एक मुखर रिश्तेदार ने हर्जाना माफ़ करने की पैरवी की और तर्क दिया कि ”क्या हमें किसी ऐसे के लिए हर्ज़ाना देना चाहिए जिसने न कुछ खाया और न कोई शोर किया और जो न-कुछ के समान था।“ मुहम्मद ने उसके एतराज को ठुकरा दिया और कहा कि वह ”काफिया-बन्द मुहावरे बोल रहा है, जैसे कि रेगिस्तान के अरब बोलते रहते हैं (4170)।

author : ram swarup