वेदज्ञ स्वामी वेदानन्द तीर्थ का सेवा-भाव
अग्निदेवभीष्म, हिसार वाले पहले बहुत जड़बुद्धि थे। बाद में तो बहुत मन्त्र, श्लोक, सूत्र आदि कण्ठस्थ हो गये। व्याज़्यानों में प्रमाणों की झड़ी लगा देते थे। आरज़्भ में यह पहले स्वामी वेदानन्दजी के पास आये। वहीं शिक्षा आरज़्भ की। एक बार ऐसे रुग्ण हुए कि जीवन की कोई आस ही न रही, शौच आदि की भी सुध न थी। कोई दुर्गन्ध के कारण समीप भी न आता था। स्वामी वेदानन्दजी ने मल-मूत्र तक उठाया। भीष्मजी कई बार यह घटना सुनाया करते थे।