उज़रप्रदेश का एक साहसी आर्यवीर
1942-43 ई0 की घटना है। आर्यसमाज के प्रसिद्ध मिशनरी मधुर गायक श्री शिवनाथजी त्यागी बाबूगढ़ के उत्सव से वापस आ रहे थे कि मार्ग में नहर के किनारे दस शस्त्रधारी मुसलमानों ने आर्य प्रचारकों की इस मण्डली (जिसमें केवल तीन सज्जन थे) पर धावा बोल दिया। बचने का प्रश्न ही न था। मुठभेड़ हुई ही थी कि अकस्मात् मोटर साइकल पर एक आर्य रणबांकुरा जयमलसिंह त्यागी उधर आ निकला। अपने उपदेशकों को विपदा में देखकर उसने बदमाशों को ललकारा, कुछ को नहर में फेंका और शिवनाथजी त्यागी आदि सबको बचाया। ऐसे साहसी धर्मवीरों के नाम व काम पर हमें बहुत गर्व है।