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ऋषि की एक ओर दिग्विजयःराजेन्द्र जिज्ञासु

सर सैयद अहमद खाँ को ऋषि का भक्त प्रशंसक बताकर उनका गुणगान कराना भी एक फैशन-सा हो गया । श्री रामगोपाल का पठनीय ग्रन्थ ‘इण्डियन मुस्लिम’ पढ़ें। सर सैयद का गुणकीर्तन करने से न तो देश का हित हो रहा है और न ऋषि मिशन को लाभ मिल रहा है। लाभ तो अलगाववादी तत्त्वों को मिल रहा है। हमारे विचार में सर सैयद ने ऋषि की संगत का लाभ उठाकर इस्लाम को लाभान्वित किया है। उस दिग्विजय पर हमारे विचारकों-प्रचारकों को बोलना चाहिये। हमारे पुराने विद्वानों व शास्त्रार्थ महारथियों ने 50-60 वर्ष पूर्व जितनी खोज कर दी, सो कर दी। अब इस विषय में क्या हो रहा है, ये सब जानते हैं। मैंने इस विषय में अब तक जो लिखा है उससे आगे कुछ और निवेदन किया जाता है। यह महर्षि का पुण्यप्रताप है कि सर सैयद अहमद ने मुसलमानों को यह सुझाया व समझायाः-

  1. 1. कुरान मजीद में बदर इत्यादि के युद्धों में फरिश्तों की सहायता का वर्णन मिलता है। इससे उन युद्धों में फरिश्तों का आना सिद्ध नहीं होता।
  2. 2. हजरत ईसा की बिना पिता के उत्पत्ति किसी भी प्रकार से सिद्ध नहीं होती।
  3. 3. नबी पर जो वही (ईश्वरीय ज्ञान-आयतें) नाजिल होती है, वह किसी सन्देशवाहक (फरिशता) के द्वारा नहीं उतरती। यह उसके हृदय में उतरती है।
  4. 4. कुरान से जिन्नों की सत्ता, उनमें भी नर व नारी का होना तथा आगे से उत्पन्न होना सिद्ध नहीं होता। जिन्न मनुष्य को हानि पहुँचा सकते हैं-ऐसी बातें जो कुरान में वर्णित हैं, सृष्टि नियम विरुद्ध हैं। कुरान के भाष्यकारों ने यहूदियों का अनुकरण करके ऐसी व्यायायें की हैं।
  5. 5. कुरान में पैगबर के किसी भी चमत्कार का उल्लेख नहीं मिलता। चमत्कार नबूअत की युक्ति नहीं हो सकती।

पाठकों को बता दें कि कुरान के एक भाष्यकार ने कुरान में आये ‘जिन्न’ शद के बहुवचन ‘जिन्नात’ का कतई कुछ भी अर्थ नहीं दिया। सर सैयद ने इनका अग्नि से उत्पन्न होना तो झुठलाया ही है, साथ ही इनमें नर व नारी का होना भी नहीं माना। इस्लामी विचारधारा में सर सैयद की सोच ने जो हड़कप मचाया, यह महर्षि दयानन्द की बहुत बड़ी दिग्विजय है।

यह भी स्मरण रहे कि कुरान में अल्लाह द्वारा धरती व आकाश को छह दिन में बनाने का उल्लेख मिलता है। सर सैयद ने इसका प्रयोजन भी यहूदियों के मत का प्रतिवाद करना ही बताया है।2 प्रश्न यह है कि सर सैयद को भी यह तभी सूझा, जब महर्षि ने ईसाई मत की इस मान्यता का खण्डन किया ।

सर सैयद ने भले ही सीधे वैदिक धर्म को ग्रहण नहीं किया, उसने कुरान को एवं इस्लाम को वैदिक विचारधारा के  रंग में रंग दिया।