अतिथि यज्ञ ऐसे किया
श्री रमेश कुमार जी मल्होत्रा का श्री पं0 भगवद्दज़ जी के प्रति
विशेष भज़्तिभाव था। पण्डित जी जब चाहते इन्हें अपने घर पर
बुला लेते। एक दिन रमेश जी पण्डित जी का सन्देश पाकर उन्हें
मिलने गये।
उस दिन पण्डित जी की रसोई में अतिथि सत्कार के लिए
कुछ भी नहीं था। जब श्री रमेश जी चलने लगे तो पण्डित जी को
अपने भज़्त का अतिथि सत्कार न कर सकना बहुत चुभा। तब
आपने शूगर की दो चार गोलियाँ देते हुए कहा, आज यही स्वीकार
कीजिए। अतिथि यज्ञ के बिना मैं जाने नहीं दूँगा। पं0 भगवद्दत जी
ऐसे तपस्वी त्यागी धर्मनिष्ठ विद्वान् थे।