महाभारत के अतिरिक्त और ग्रन्थों में वर्णित, यह मणि क्या वस्तु है और इसकी क्या चमत्कार थे विस्तार से बताने का कष्ट करें।
समाधान- (ख) महाभारत के अतिरिक्त मणि की चर्चा पढ़ने में नहीं आयी। हाँ, स्फटिक मणि की चर्चा दर्शन शास्त्र में आयी है, किन्तु यह कोई चमत्कारी मणि नहीं है और न ही कोई इस प्रकार की मणि होती है। मणि का अर्थ बहुमूल्य कांतियुक्त पत्थर, रत्न, जवाहिर आदि ही है। जैसे पारस पत्थर की कथा गढ़ रखी है कि पारस पत्थर लोहे को सोना बना देता है जो कि यह बात सर्वथा झूठ है। महर्षि दयानन्द इस विषय में कहते हैं- ‘‘पारसमणि पत्थर सुना जाता है यह बात तो झूठी है…..।’’ सं. प्र. 11 इसी प्रकार यह मणि वाली कथाएँ गढ़ी हुई हैं।
‘‘योगेश्वर कृष्ण पुस्तक’’ में जो एक अरब सेना वाली बात वह असमभव ही है, क्योंकि यहाँ की जनसंखया भी कुल इतनी नहीं थी। यह बात कहीं के पुराण से ली गई लगती है। पं. चमूपति जी का इस पुस्तक को लिखने का मुखय प्रयोजन अवतारवाद का खण्डन करना था। श्री कृष्ण ईश्वर के अवतार नहीं थे, अपितु वे एक योगी पुरुष, नीतिज्ञ, अत्यन्त प्रतिभा समपन्न महापुरुष थे यह सिद्ध करना पं. चमूपति का उद्देश्य था।