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वेदानुसार बहुकुन्डीय यज्ञ उचित है अथवा अनुचित?

वेदानुसार बहुकुन्डीय यज्ञ उचित है अथवा अनुचित?

समाधान-

(ख)बहुत सारे कुण्ड एक स्थान पर रखकर हवन करने का पढ़ने को तो नहीं मिला, किन्तु यदि निर्लोभ होकर यथार्थ विधि पूर्वक कहीं ऐसे यज्ञों का आयोजन होता है तो इसमें हमें हानि प्रतीत नहीं हो रही। हानि वहाँ है, जहाँ बहुकुण्डिय यज्ञ करने का उद्देश्य व्यापार हो। यजमान से दक्षिणा की बोली लगवाई जा रही हो अथवा एक कुण्ड पर दक्षिणा को निश्चित करके बैठाया जाता हो। यज्ञ करवाने वाले ब्रह्मा की दृष्टि मिलने वाली दक्षिणा पर अधिक और यज्ञ क्रियाओं, विधि पर न्यून हो ऐसे बहुकुण्डिय यज्ञों से तो हानि ही है, क्योंकि यह यज्ञ परोपकार के लिए कम और स्वार्थपूर्ति रूप व्यापार के लिए अधिक हो जाता है।

प्रशिक्षण की दृष्टि से ऐसे यज्ञों का आयोजन किया जा सकता है। जिस आयोजन से अनेकों नर-नारी यज्ञ करना सीख लेते हैं और यज्ञ के लाभ से भी  अवगत होते हैं।