(ख) ऋषि दयानन्द जी और कुछ वर्ष जीते तो संसार का कितना उपकार होता सविवरण बताने का कष्ट करें।
समाधान-
(ख)किसी भी लोकोपकारक महापुरुष का शरीर जितना अधिक जीवित रहता है वह महापुरुष उतना ही अधिक जगत् का कल्याण करता है। महर्षि दयानन्द जी भी अधिक जीवित रहते तो संसार का अत्यधिक उपकार होता ही; आर्यावर्त का सबसे अधिक उपकार होता यदि ऋषिवर का शरीर बना रहता तो आर्यावर्त को अंग्रेज बहुत शीघ्र छोड़कर चला गया होता। भारत को स्वतन्त्रता कहीं पहले मिल गई होती। देश भक्त, बलिदानियों का अत्यधिक समान होता। जो आज अपने देश में अपूज्यों का समान हो रहा है देश को मुस्लिम प्रधान बनाने वाले महात्मा और इस देश को गर्त की ओर ले जाने वाले एक लपट और उसके भारत विरोधी परिवार का समान न होता। महर्षि दयानन्द सदा ही देश हितैषियों धार्मिकों का समान करते थे, वे होते तो आज भी ऐसा ही होता।
ऋषि दयानन्द और अधिक जीवित रहते तो यह देश पुनः विश्वगुरु बन गया होता। विश्वभर में वेद की मान्यता होती। हमने जो पिछले अंक सिपतमबर प्रथम में लिखा था कि ऋषि क्या-क्या करना चाहते थे, उन कार्यों में से बहुत से कार्य हो रहे होते। और अधिक कार्य क्या-क्या हो सकते थे इसका तो हम अनुमान ही लगा सकते हैं, यथार्थ में तो ऋषि होते और उनके द्वारा जो कार्य किये जाते उससे उनके उपकार का पता लगता। अस्तु।