जिज्ञासा:- . क्या वैदिक धर्म के मानने वाले शास्त्रों के अलावा दूसरे धर्म शास्त्रों को मानने वाले को मुक्ति मिलेगी?
समाधान
हमने लिखा-मुक्ति ज्ञान से होती है और शुद्ध ज्ञान का भण्डार वेद व वेदानुकूल शास्त्र हैं। इनके अतिरिक्त जितने भी मतवादियों ने अपने-अपने ग्रन्थ बना रखे हैं, उनमें पूर्ण सत्य नहीं है और जो सत्य है भी, वह वेदादि का ही है। अन्य मतवादियों के ग्रन्थों में सृष्टि विरुद्ध बातें प्रचुर मात्रा में हैं, पाखण्ड और अन्धविश्वास से पूर्ण बातें उनके ग्रन्थों में हैं। इस प्रकार की बातों से युक्त ग्रन्थों को मानने वाली मुक्ति कैसे हो सकती है, यह आप भी विचार कर देखें।
इसलिए वैदिक धर्म के मानने वाले शास्त्रों के अतिरिक्त अन्य मतवादियों के ग्रन्थों को मानने वालों की मुक्ति सभव नहीं है। महर्षि दयानन्द ने ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका के पठन-पाठन विषय में स्पष्ट लिखा कि-
यो मनुष्यो वेदार्थान्न वेत्ति स नैव तं बृहन्तं
परमेश्वरं धर्मं विद्यासमूहं वा वेत्तुमर्हति।
कुतः सर्वासां विद्यानां वेद एवाधिकरणमस्त्यतः।
न हि तमविज्ञाय कस्यचित् सत्य विद्या प्राप्तिभवितुर्महति।।
यहाँ महर्षि का कहने का भाव है कि जो मनुष्य वेदार्थ को नहीं जानता, वह कभी उस महान् परमेश्वर, धर्म और विद्या समूह को जानने में समर्थ नहीं हो सकता, क्योंकि सभी सत्य विद्याओं का वेद ही आधार है, इसलिए उस वेद को जाने बिना किसी को सत्यविद्या प्राप्त नहीं हो सकती।
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