स्वां प्रसूतिं चरित्रं च कुलं आत्मानं एव च । स्वं च धर्मं प्रयत्नेन जायां रक्षन्हि रक्षति

स्त्री जैसे पति का सेवन करती है उसी प्रकार की सन्तान को उत्पन्न करती है इसलिए  सन्तान की शुद्धि के लिए प्रयत्नपूर्वक स्त्री की रक्षा करे ।

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