(अदीयमाना) पिता आदि अभिभावक के द्वारा विवाह न करने पर (यदि स्वयं भतरिम् + अधिगच्छेत्) जो कन्या यदि स्वयं पति का वरण कर ले तो (किंचिते एनः न अवाप्तोति) वह कन्या किसी पाप की भागी नही होती (च) और (न सा यम् अधिगच्छति) न उसे कोई पाप होता है जिस पति को यह वरण करती है ।