व्रीहयः शालयो मुद्गास्तिला माषास्तथा यवाः । यथाबीजं प्ररोहन्ति लशुनानीक्षवस्तथा ।

(प्रजनार्थ स्त्रियः सृष्टाः) गर्भधारण करके सन्तानों की उत्पत्ति करने के लिए स्त्रियों की रचना हुई है (च) और (सन्तानार्थ मानवाः) सन्तानार्थ गर्भाधान करने के लिए पुरुषों की रचना हुई है (दोनों एक दूसरे के पूरक होने के कारण) (तस्मात्) इसलिए (श्रुतौ) वेदों मे (साधारणः धर्मः) साधारण से साधारण धर्मकार्य का अनुष्ठान भी (पत्न्या सह+उदितः) पत्नी के साथ करने का विधान किया है ।

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