विशिष्टं कुत्र चिद्बीजं स्त्रीयोनिस्त्वेव कुत्र चित् । उभयं तु समं यत्र सा प्रसूतिः प्रशस्यते । ।

(वन्ध्या + अष्टमे) वंध्या हो तो आठवें (विवाह से आठ वर्ष तक स्त्री का गर्भ न रहे) (मृतप्रजाः तु दशमे) सन्तान होकर मर जाये तो दशवे (स्त्रीजननी एकादशे अब्दे) जब-जब हो तब-तब कन्या ही होवें पुत्र न हो तो ग्यारहवें वर्ष तक (तु) और (अप्रियवादिनी) जो अप्रिय बोलने वाली हो तो (सद्यः) सद्यः उस स्त्री को छोड़कर (अधिवेद्या) दूसरी स्त्री से नियोग करके सन्तानोत्पत्ति कर लेवे । (स. प्र. चतुर्थ समु.)

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