सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयु और कलियुग ये सब राजा के ही आचार-व्यवहार विशेष है अर्थात् राजा जैसा राज्य को बताता है उस राज्य में वैसा ही युग बन जाता है (राजा हि युगम्+उच्यते) वस्तुतः राजा ही युग कहलाता है अर्थात् राजा ही युगनिर्माता है ।
सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयु और कलियुग ये सब राजा के ही आचार-व्यवहार विशेष है अर्थात् राजा जैसा राज्य को बताता है उस राज्य में वैसा ही युग बन जाता है (राजा हि युगम्+उच्यते) वस्तुतः राजा ही युग कहलाता है अर्थात् राजा ही युगनिर्माता है ।