बार-बार हारा-थका हुआ भी राजा कार्यों को फिर-फिर अवश्य आरम्भ करे क्योंकि कर्मों को आरम्भ करने वाले पुरुष को ही विजयलक्ष्मी प्राप्त होती है ।
बार-बार हारा-थका हुआ भी राजा कार्यों को फिर-फिर अवश्य आरम्भ करे क्योंकि कर्मों को आरम्भ करने वाले पुरुष को ही विजयलक्ष्मी प्राप्त होती है ।