पिता रक्षति कौमारे भर्ता रक्षति यौवने । रक्षन्ति स्थविरे पुत्रा न स्त्री स्वातन्त्र्यं अर्हति ।

थोड़े कुसंग के अवसरों से भी स्त्रियों की विशेषरूप से रक्षा करनी चाहिए क्योंकि अरक्षित स्त्रियां दोनों कुलों = पति तथा पिता के कुलों को शोकसंतप्त कर देती हैं ।

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