अस्वतन्त्राः स्त्रियः कार्याः पुरुषैः स्वैर्दिवानिशम् । विषयेषु च सज्जन्त्यः संस्थाप्या आत्मनो वशे

(काले) विवाह की अवस्था में (अदाता) कन्या को न देने वाला अर्थात् विवाह न करने वाला (पिता वाच्यः) पिता निन्दनीय होता है (च) और (अनुपयन् पतिः) (विवाह-पश्चात् ऋतुकाल के अनन्तर) संगम  न करने वाला पति निन्दनीय होता है (भर्तरि मृते) पति की मृत्यु होने के बाद (मातुः + अरक्षिता पुत्रः वाच्यः) माता की (भरण-पोषण आदि से) रक्षा न करने वाला  पुत्र निन्दनीय होता है ।

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