सप्ताङ्गस्येह राज्यस्य विष्टब्धस्य त्रिदण्डवत् । अन्योन्यगुणवैशेष्यान्न किं चिदतिरिच्यते ।

इसमें तीन पायों पर स्थित तिपाई के समान सात प्रकृतिरूपी अंगो पर स्थित इस राज्य में सभी अंगो के अपनी- अपनी विशेषताओं से युक्त और परस्पर आश्रित होने के कारण कोई अंग फालतू अर्थात् छोड़ने योग्य नही है ।

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