समैर्हि विषमं यस्तु चरेद्वै मूल्यतोऽपि वा । समाप्नुयाद्दमं पूर्वं नरो मध्यमं एव वा ।

जो मनुष्य समानमूल्य वाली वस्तुओं के बदले अथवा सही मूल्य से कम वस्तु देने का व्यवहार करे, वह पूर्वसाहस या मध्यमसाहस दण्ड का भागी होता है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *