(यत्) परन्तु यदि (क्रिया + अभ्युपगमात्) परस्पर मिलकर यह निश्चय करके कि इससे प्राप्त फल ’अमुक का या दोनों का होगा इस समझौते के साथ (एतत् बीजार्थ प्रदीयते) जो खेत बीज बोने के लिये दिया जाता है (इह तस्य) इस लोक में उसके (बोजी च क्षेत्रिक एव भागिनी दृष्टी) बीजवाला और खेतवाला दोनों ही फल के अधिकारी देखे गये है ।