एताश्चान्याश्च लोकेऽस्मिन्नपकृष्टप्रसूतयः । उत्कर्षं योषितः प्राप्ताः स्वैः स्वैर्भर्तृगुणैः शुभैः ।

आपत्काल में सन्तान का विधान—

  1. (एतत्) यह (9/31-55) (बीजयोन्योः सारफल्गुत्वम्) बीज और योनि की प्रधानता और अप्रधानता (वः प्रकीर्तितम्) तुमसे मैंने कही ।

(अतः परम्) इसके बाद अब मैं (आपदि योषितां धर्मम्) आपत्काल में (सन्तानाभाव में) स्त्रियों के धर्म का प्रवक्ष्यामि कहूँगा—

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