विद्या के कारण प्राप्त, मित्र से प्राप्त, विवाह में प्राप्त और पूज्यता के कारण आदर सत्कार में प्राप्त (यत् यस्य धनम्) जो जिसका धन है वह उसी का ही होता है ।
विद्या के कारण प्राप्त, मित्र से प्राप्त, विवाह में प्राप्त और पूज्यता के कारण आदर सत्कार में प्राप्त (यत् यस्य धनम्) जो जिसका धन है वह उसी का ही होता है ।